पटना: happy mothers Day 2022: मां, मम्मी, मॉम, ममा अनेक नामों से पुकारी जाने वाली और हर घर में पाई जाने वाली ये एक ही प्रकार की शख़्सियत है. ये वो शख्स है जिसकी दोपहर सुबह 6 बजे ही हो जाती है. अरे क्या दोपहर तक सोते रहोगे कि आवाज के साथ पूरे घर को जगा देती हैं.
जो कई काम एक साथ निपटा देती हैं
मां, वो जो आरती और मंत्र बुदबुदाते हुए ही नाश्ता बना देती है. मंत्र पढ़ने में तेज आवाज, मतलब सब टेबल पर आ जाओ, नाश्ता तैयार है. फिर दांत पीसते हुए मंतर पढ़ना, मतलब छोटे बच्चों को धमकी, कि दूध पूरा खतम हो जाना चाहिए. मां वो, जो कुछ गुनगुनाते हुए खाना बनाए, मतलब सब ठीक है, और जिसके चिमटे की तेज आवाज से ही पापा समझ जाएं, कि कुछ तो गड़बड़ है दया.
जिसे हर कबाड़ काम का लगता है
मां वो, जिसने आंगन की टोंटी में फंसाई है मिठाई के डब्बे की रबड़ें, मां वो जिसने खास मौके पर पहनने के लिए छोड़ रखे हैं नए कपड़े. मां वो, हर पॉलीथिन जिसके लिए काम की है, मां वो, जिसने हर घड़ी हमारे नाम की है. मां वो जिसे लगता है मुआं मोबाइल ही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है, उसी में घुसा रह, चिपका रह, ये सुनने में कितना अपनापन है.
बिना मां के वीरान हो जाता है घर
मां दो पल को जाए कहीं, तो विरानी लगती है. बिना उसके अधूरी हर कहानी लगती है. मां की हर बात करीने से सजी अलमारी बताती है, इसमें बिछे पुराने अखबारों के नीचे उनका खजाना है, वहां बचे हुए चिल्लर का ठिकाना है. कुछ फुटकर फ्रिज के कवर में हैं, बिस्तर के नीचे है 500 का नोट, कुछ रुपए गुल्लक में भी हैं, यानी घर के हर जरूरी कोने में उनके बैंक की ब्रांच है. ये सारी बातें हर बच्चे की जुबानी है, मां ऐसी ही होती है ये हर घर की कहानी है.
मां हमारी जान होती है
घर से दूर रहने पर भी मां का अहसास दूर नहीं होता है. सब खर्च होने के बाद भी पर्स में बचा 100 का नोट मां का होता है, जो उसने घर से निकलते वक्त दिया था. जरा सी खराश उन्हें तबीयत खराब लगती है, ठंडा पानी मत पिया कर बार-बार कहती है. जिसकी हर सांस हर वक्त हम पर कुर्बान होती है, मां ऐसी ही होती है, जिसमें हमारी जान होती है.
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