Mamata Banerjee’s growing anger, ‘Government will change in Bengal’? | बंगाल: पहले लड़ाई फिफ्टी-फिफ्टी थी, अब लेकिन बदल रहा ‘माहौल’

कोलकाता: चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही हमारी एंट्री बंगाल में हुई, ठीक 26 फरवरी को. दिल्ली से बनारस और बोध गया होते हुए हम झारखंड बॉर्डर से आसनसोल पहुंचे गए थे. हमने बंगाल चुनाव की रिपोर्टिंग का मीटर यहीं से डाउन कर दिया. आसनसोल से दुर्गापुर जाने वाली एक लोकल बस में मैं अपने कैमरामैन के साथ सवार हो गया और उसमें सवार लोगों से बातचीत शुरू कर दी. ज्यादातर लोगों ने कहा कि बंगाल में माहौल 50-50 है, कुछ भी हो सकता है. 

28 फरवरी को महाजोत की रैली हुई

इसके बाद हुगली से हावड़ा तक भी बस में सफर किया, अधिकतर लोग बोलने से बचते दिखे या फिर 50-50 कहकर सेफ खेलते दिखे. शुरुआती दिनों में बदलाव की बात कहने वाले गिने चुने ही लोग मिले. कुछ ने ये भी कहा कि ममता दीदी फिर से आ जाएगी, क्योंकि उसने गरीबों और महिलाओं के लिए बहुत काम किया है. 28 फरवरी को कोलकाता पहुंचा, उसी दिन महाजोत यानी कांग्रेस, सी.पी.एम. और फुरफुरा शरीफ की कोलकाता में संयुक्त रैली थी. इसमें उमड़ी भीड़ के बाद बंगाल चुनाव में तीसरे मोर्चे के वजूद की चर्चा तेज हो गई थी. हालांकि जैसे जैसे चुनाव चढ़ता गया, तीसरे मोर्चे का वजूद धूमिल होता चला गया. 

इसके बाद मैं मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर, सिलीगुड़ी तक गया. मुर्शिदाबाद को छोड़कर सभी जगहों पर लोगों ने कहा कि BJP और TMC के बीच कांटे की लड़ाई है और मामला 50-50 है. लोगों ने कहा कि बंगाल चुनाव में कुछ भी हो सकता है. 7 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी की पहली रैली ब्रिगेड ग्राउंड कोलकाता में थी. ये दिन बीजपी के लिए एकतरफा न चला जाए इसीलिए ममता बनर्जी ने ठीक उसी दिन और उसी समय सिलीगुड़ी में रोड शो का प्रोग्राम रख लड़ाई को 50-50 बनाने की पूरी कोशिश की. हुआ भी ऐसा ही. 7 मार्च को एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने ममता दीदी और उनकी सरकार पर जमकर निशाना साधा तो दूसरी तरफ ममता दीदी ने भी प्रधानमंत्री पर जमकर वार किया. उन्हें कोरोना से लेकर सिंडिकेट तक कह डाला. यहां भी हमने जिससे भी बात की, सब कह रहे थे कि मामला 50-50 का है. कोई कम नहीं है, ये लड़ाई जबरदस्त होगी.

इसके बाद हम पहुंचे नंदीग्राम. यहां 10 मार्च को ममता बनर्जी का नॉमिनेशन प्रोग्राम था. यहां भी जिससे पूछा कौन जीतेगा. सबके सब यहीं बोलते थे कि लड़ाई टफ है, बोलते पारबो ना. कुछ लोकल पत्रकारों से बात हुई तो बोले जो भी जीतेगा 5 से 10 हजार के मार्जिन से जीतेगा. यानी यहां भी मामला 50 -50 का था. लेकिन चुनाव के दिन शाम होते होते यहां लगने लगा कि शुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को यहां फंसा दिया और मैंने ट्विटर पर लिखा कि यहां दिनभर रिपोर्टिंग के बाद मैं ये कह सकता हूं कि नंदीग्राम से चुनाव लड़कर ममता बनर्जी ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली. लेकिन हमारे कुछ साथियों का कहना था कि यहां कुछ भी हो सकता है. मैंने मान लिया कि हो सकता है कि दोनों का चांस 50-50 है.

पहले 2 फेज की वोटिंग में बीजेपी को बढ़त?

वैसे पहले 2 फेज के मतदान में ये तस्वीर साफ थी कि चाहे पुरुलिया हो, बांकुड़ा हो, झारग्राम हो या फिर पश्चिमी और पूर्वी मिदनापुर हो. बीजपी ने यहां TMC से ठीकठाक बढ़त ले ली है. दोनों फेज के 60 सीटों में से बीजपी और अमित शाह ने 50 से ज्यादा सीटों पर जीत का दावा किया. गृह मंत्री अमित शाह ने ज़ी न्यूज़ से खास से बातचीत में कहा कि हम 200 ज्यादा सीटें जीत रहे हैं और बीजपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ज़ी न्यूज़ से कहा कि बंगाल में बीजपी के पक्ष में सुनामी चल रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने तो तारकेश्वर की रैली में बीजपी की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में आने की बात कह डाली. इस पर ममता बनर्जी ने तंज भी कसा था कि प्रधानमंत्री भगवान हैं या महामानव, जो उन्हें पहले ही पता चल गया है सरकार उनकी ही बनेगी.

TMC और ममता बनर्जी की टीम को पूरा भरोसा था कि तीसरे फेज़ से ये माहौल पूरा पलट जाएगा क्योंकि कोलकाता प्रेसिडेंसी की करीब 110 सीटों पर 3rd, 4th और 5th फेज़ में मतदान होना था. 3rd फेज़ के मतदान के बाद TMC के लोगों को थोड़ी सांस में सांस आई. 3rd फेज़ की 31 विधानसभा सीटों में से TMC के लोगों ने 20 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया. हालांकि बीजपी ने भी इस फेज में 50-50 का दावा किया. अलग अलग जगहों पर रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार मित्रों से बातचीत के आधार पर ये तस्वीर सामने आई कि तीसरे फेज़ में दक्षिण 24 परगना की 16 सीटों में से तृणमूल क्लीन स्वीप कर सकती है, लेकिन बीजपी हुगली में क्लीन स्वीप करेगी. यहां की 8 सीटों पर मतदान हुआ था. हुगली के तारकेश्वर विधानसभा सीट पर ही मैं दिनभर रहा था, यहां से बीजपी ने स्वप्नदास गुप्ता को उम्मीदवार बनाया था, जो कि बंगाल में बीजपी सरकार बनने पर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं. हावड़ा में कुल 7 सीटों पर मतदान हुआ. यहां TMC को बढ़त दिखी, लेकिन हावड़ा में भी 1 से 2 सीट जीतने का दावा बीजपी ने किया. कुल मिलाकर 3rd फेज़ में TMC की बढ़त साफ दिखी.

इसके बाद हम निकल लिए चौथे फे के मतदान को कवर करने के लिए North Bengal के कूच बिहार इलाके में. रास्ते में नादिया जिले में एक नारियल पानी वाला मिला. नारियल पानी पीते हुए हमने पूछ लिया कि भाई चुनाव में क्या होगा इस बार. थोड़ी देर वो चुप रहा, लेकिन फ़िर मेरे माथे पर टीका लगा देख उसने पूछा आप हिंदू हो. मैंने कहा हां तो उसने जो बोला वो बंगाल के चुनाव का एक बड़ा संकेत था. उसने कहा ‘सब हिंदू मोदी के साथ और सब मुसलमान दीदी के साथ’. यहां मैं ये साफ करता चलूं कि मैं कोलकाता से कूच बिहार निकलते वक्त काली घाट मंदिर गया था, जहां पुजारी ने मेरे माथे पर टीका लगाया था, जिसे देखकर नारियल वाले उस लड़के को लगा कि मैं हिंदू हूं. इसीलिए उसने बेहिचक होकर अपनी बात कह डाली. वैसे इस लड़के ने बंगाल के चुनाव में हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का संकेत भी दे दिया. ये भी हो सकता है कि नादिया, मालदा और मुर्शिदाबाद में मुस्लिम आबादी ज्यादा है. इसीलिए ममता दीदी के मुस्लिम वोटरों से एकजुट होकर TMC को वोट करने का भी ये नतीज़ा हो सकता है या फिर ममता के मुस्लिम वोटरों से अपील के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक रैली में ये कहा कि अगर मैं हिंदू वोटरों से एकजुट होकर वोट देने की अपील करता तो चुनाव आयोग का नोटिस मुझे मिल चुका होता.

मीरजाफर का परिवार दीदी के साथ?

कूच बिहार का रास्ता कोलकाता से करीब 17 घंटे का है इसीलिए हमने तय किया कि 8 मार्च की रात मुर्शिदाबाद में रुकेंगे. मुर्शिदाबाद से ठीक पहले नादिया जिले में Battel Of Bengal यानि 1757 का पलासी का युद्ध हुआ था. कहते हैं कि इस लड़ाई में मीरजाफर की वजह से बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला अंग्रेजों से जंग हार गए थे. मीरजाफर, बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का मुख्य सेनापति था और वो अंग्रेजों से मिल गया था. जिसकी वजह से सिराजुद्दौला 50 हजार की भारी भरकम सेना के बावजूद अंग्रेजों के महज 3 हजार सैनिकों से ये जंग हार गए थे. इसीलिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आजकल अपने भाषण में TMC से BJP में गए नेताओं को मीरज़ाफर और गद्दार कहकर पुकार रही हैं. मन में जिज्ञासा हुई कि उस जगह पर जाना चाहिए, जहां असल में Battel of Bengal हुआ था. जब वहां पहुंचकर रिपोर्टिंग शुरू की थी तो लोगों ने बताया कि मीरज़ाफर के बारे में आप क्यों नहीं उनके परिवार वालों से जाकर पूछते. 

हमने पूछा कि कहां मिलेंगे वो लोग तो उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद के हज़ारद्वारी इलाके में रहता है मीरज़ाफर का खानदान. रात को मुर्शिदाबाद रुकने के बाद सुबह सुबह हम मिलने पहुंचे ‘मीरज़ाफर की औलाद’ से. वैसे ‘मीरज़ाफर की औलाद’ शब्द अपने यहां गद्दारी करने वाले शख्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसे गाली भी माना जाता है, लेकिन हमें तो मीरज़ाफर की औलादों से मिलकर ये जानना था कि आज के दौर में वो किसके साथ हैं. किसी से पूछा कि भाई साहब मीरज़ाफर के खानदान वाले कहां रहते हैं, तो जवाब आया सुबह सुबह किसका नाम ले रहे हो भाई साहब. खैर वहीं खड़े एक शख्स ने छोटे नवाब का घर दिखा दिया. हज़ारद्वारी के द्वार से घुसते ही मीरज़ाफर के खानदान के छोटे नवाब के सैयद रजा मिर्जा का घर था. 80 साल के मिर्जा से जब मैंने पूछा कि बंगाल चुनाव में आपके खानदान की बड़ी चर्चा है, आप लोग किसके साथ हैं. उन्होंने बिना रुके कहा कि ममता बनर्जी के साथ. अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि मीरजाफर की औलाद किसके साथ हैं. मैं स्टोरी भी यही कर रहा था कि बंगाल चुनाव में मीरजाफर किसके साथ. मेरी ये स्टोरी यहीं complete हो गई. 

ये भी पढ़ें- बंगाल चुनाव में असली खेला खेलेगा साइलेंट वोटर

इसके बाद मैं 10 अप्रैल को होने वाले चौथे फेज़ की वोटिंग की रिपोर्टिंग करने के लिए कूच बिहार निकल गया. यहां  सुबह से ही अलग अलग बूथ पर बमबारी और गोलीबारी की खबरें आने लगी. कूच बिहार के सीतलकूची के बूथ नंबर 126 पर  TMC के कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा बलों पर हमला शुरू कर दिया. सुरक्षा बलों की जवाबी करवाई में 4 लोग मारे गए. वैसे इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लगातार उकसावे का नतीज़ा कहें तो गलत नहीं होगा. दिनभर इसी खबर की मारामारी में व्यस्त रहा. इसीलिए चौथे फेज का रुझान क्या रहा, इसको लेकर किसी से कोई चर्चा नहीं हो पाई. सुबह सुबह ऑफिस से ममता बनर्जी के कूचबिहार दौरे पर चुनाव आयोग की रोक पर live के लिए फोन आया. Hotel के बाहर live के लिए तैयारी कर रहा था, उसी वक्त कई पत्रकार साथी बाहर चाय की दुकान पर मिल गए. मैंने पूछा क्या लग रहा है, कौन जीतेगा, अब तो 4 फेज़ का चुनाव हो गया. दुखी मन से ही सही एक पत्रकार ने कहा, लग रहा है कि इस बार ‘बंगाल में सरकार पलटी होगा’. मैंने पूछा कि ऐसा क्यों लग रहा है भाई तो उसका जवाब था कि ममता की बौखलाहट देखकर ऐसा लग रहा है. मेरे इस लेख का आधार भी ये पत्रकार ही बना. 

बंगाल में हो सकती है सरकार की पलटी

वैसे बंगाल में अभी तक 50 % चुनाव हो चुका है और 50 % और बाकी है. यहां भी मामला 50-50 है. क्योंकि बंगाल में 8 में से 4 फेज़ का मतदान हो चुका है और 4 फेज़ अभी भी बाकी है. पहले दो फेज में बीजपी ने ठीकठाक बढ़त ली. तीसरे फेज में TMC ने अच्छा परफॉर्म किया लेकिन चौथे फेज़ में BJP ने लड़ाई को 50-50 कर बाजी को पलटने का काम किया है. यही नहीं आने वाले सभी फेज़ में मुर्शिदाबाद को छोड़कर बीजेपी चाहे बर्दमान हो, मालदा, दिनाजपुर, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, आसनसोल या दुर्गापुर हो. सभी जगहों पर  result या तो 50-50 रहेगा या फिर बढ़त में. TMC सिर्फ कोलकाता शहर की 8 विधानसभा सीटों पर एकतरफा जीत सकती है. ऐसे में अब बंगाल की लड़ाई 50-50 के बजाए सरकार पलटी वाले दिशा में बढ़ रही है. ये मैं अभीतक के Ground Reporting के Experiance के आधार पर कह सकता हूं.

लेखक रवि त्रिपाठी ज़ी न्यूज़ में सीनियर स्पेशल करस्पॉन्डेंट हैं)

(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

LIVE TV

Source link

Leave a Comment

[democracy id="1"]
error: Content is protected !!