





बिलासपुर । दलितों पर दमन की दास्तां में लाठी डंडा तलवार पिस्तौल बंदूक अब बम तक पहुंच गई है।
संजीत बर्मन ने अपने टि्वटर हैंडल पर ट्वीट करते हुए लिखा कि अगर ऐसी घटना दलित आदिवासी के अलावा अन्य वर्ग पर होती तो अब तक मीडिया उस घटना को देश की आंतरिक सुरक्षा पर हमला करार देते हुए एक धर्म पर खतरा बताने लग जाती।
लेकिन चूंकि यह घटना से दलित नौजवान शहीद हुआ है इसलिए जाति प्रधान देश भारत की जातिवादी मीडिया अब तक इस घटना को दिखाने में छापने में शरमा रही है।
भारत देश में जाति के साथ लोकतंत्र संभव ही नहीं है। यहां पग-पग पर जातिवादी ठग कब्जा जमा रखा है जो नीत नए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक सांस्कृतिक असमानता की खाई को बढ़ाने का कार्य में लिप्त है।
दलितों पर होने वाले अत्याचार दमन और हत्याएं को मीडिया वालों नजर अंदाज कर भारत देश को बेहतर दिशा नहीं दे रहे हो।