क्लर्क को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले आरोपी मुंबई की होटल से आकाशदीप गिल ढाई माह बाद हुआ गिरफ्तार

सत्ता के संरक्षण में मुंबई की होटल में पल रहे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष जातिवादी आकाशदीप गिल ढाई माह बाद अंततः गिरफ्तार हुए।


रायपुर। जिन पर आत्महत्या को उकसाने की धारा लगी हुई है लेकिन जिस तरीके से शहीद गंगा प्रसाद मारकंडे सुसाइड नोट में आरोपियों की जातिवादी मानसिकता से प्रताड़ित किए जाने की हरकतें लिखे हैं उससे लगता है कि वह आत्महत्या के बजाय संस्थानिक हत्या है जिसमें मृतक शहीद गंगा प्रसाद मारकंडे जीने की चाह लेकर लोकतंत्र में न्याय पाने के लिए जो संवैधानिक व्यवस्था बनी हुई है वहां न्याय की उम्मीद लिए दर-दर भटक रहे, लेकिन उन्हें सत्ता के इशारे पर निराशा हाथ लगी।क्योंकि आरोपीगण सत्ता पक्ष के प्रभावशाली लोग थे इसलिए गंगा प्रसाद मारकंडे जी अपने समाज के लोगों के द्वारा बनाए हुए संगठन के पास गए जिस संगठन को उन्होंने अपने पैसों से सींचा वह संगठन भी प्रभावशाली एवं सत्ताधारी आरोपियों के खिलाफ मुंह खोलने से घबरा गई।
इस घटनाक्रम को देखते हुए गंगा प्रसाद मारकंडे को लगने लगा कि भारत देश में दलितों के लिए न्याय पाने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं।
उन्हें कहीं भी न्याय मिलने की उम्मीद नहीं दिखी इसलिए उन्होंने मजबूर होकर जो कदम उठाए जिसे सामान्य नजरों से देखने पर आत्महत्या कहा जाता है लेकिन उस आत्महत्या की वजह जानने के बाद पता चलता है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या ही है जिसे प्रायोजित हत्या एवं संस्थानिक हत्या कहा जाता है। जिसमें हत्या में प्रयुक्त हथियार कभी नजर नहीं आते हैं साथ ही पुलिस कभी जप्त नहीं कर पाती है। ऐसे हत्या में प्रयुक्त हथियार दिमाग में रहती है जो भारत जैसे जाति प्रधान देश में संस्कार के नाम पर भरी जाती है लेकिन सूक्ष्म जांच में आरोपियों की संलिप्तता स्पष्ट नजर आती है और इस पूरे प्रकरण में तो गंगा प्रसाद मारकंडे ने चार पन्ने के सुसाइड नोट में आरोपियों के सारे कारनामे दर्ज कर दिए हैं और दूरगामी सोच रखते हुए मारकंडे हर पन्ने पर अपने हस्ताक्षर किए हैं निश्चित रूप से ऐसे मामले में आरोपियों को सजा होना तय है। अभी इस मामले में और भी आरोपियों की गिरफ्तारी होनी है जिससे अब तक पुलिस जांच के नाम पर बचा रही है क्योंकि सुसाइड नोट में आरोपियों के नाम और बेनाम आरोपियों की हरकतें दर्ज है।
विश्वास है कि हम तब तक आवाज उठाते रहेंगे जब तक ऐसे जातिवादी मानसिकता को फैलाने वाले लोगों के मनोबल को तोड़ा ना जा सके।
हमें लगने लगा था कि आरोपीगण सत्ता पक्ष के प्रभावशाली हैं और सत्ता उन्हें संरक्षण दे रही है छत्तीसगढ़ राज्य की पुलिस राज्य सरकार के अधीन रहती है उसके इशारे पर कार्य करती है इसलिए हम लोग इस पूरे प्रकरण को सीबीआई को सौंपने की मांग को लेकर 27 जुलाई को राज्यपाल महोदया से मुलाकात करने वाले थे।

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