ज्ञानी वही है जो ईश्वर से मिलने का मार्ग प्रशस्त करें.. प्रोफेसर पटेरिया चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय के स्थापना दिवस में युग पुरुष स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का हुआ अनावरण

ज्ञानी वही है जो ईश्वर से मिलने का मार्ग प्रशस्त करें.. प्रोफेसर पटेरिया चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय के स्थापना दिवस में युग पुरुष स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा का हुआ अनावरण

पामगढ़ । चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय ने सोमवार को स्थापना दिवस मनाया। 01 अगस्त 2001 को स्थापित महाविद्यालय ने अनगिनत उपलब्धियों के साथ 21 साल का सफर तय किया है। स्थापना दिवस के अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में महाविद्यालय परिसर में युगपुरुष,भारतीय संस्कृति के संवाहक एवं युवा शक्ति के प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा के अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि शहीद नँद कुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ के कुलपति प्रो ललित प्रकाश पटेरिया, अध्यक्षता रामकृष्ण मिशन बिलासपुर के अध्यक्ष स्वामी सेवाव्रत, विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वामी विश्वहितानन्द, शिक्षाविद विवेक जोगलेकर, डॉ. उल्लास वी वारे तथा श्रीमती सुभदा जोगलेकर विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। ततपश्चात मुख्य अतिथि प्रो ललित प्रकाश पटेरिया द्वारा विद्यार्थियों आगन्तुकों की करतल ध्वनि के बीच स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा का अनावरण किया गया। स्वामी सेवाव्रत ने स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वन्दना की। मंचीय कार्यक्रम की शुरुवात राज्य गीत अरपा पैरी के धार के सामूहिक गान से की गई। ततपश्चात अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की असोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ गरिमा तिवारी ने स्वागत भाषण के माध्यम से महाविद्यालय के विकास यात्रा को साझा किया,उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद सभी युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं। यदि हम सुबह उठते हैं और हमारे पास कोई समस्या नहीं है तो इसका अर्थ यह है कि हम सही दिशा में नही जा रहे। हमें एक लक्ष्य साध कर उठना चाहिए और उसी दिशा में प्रयास करना चाहिए।महाविद्यालय के संचालक वीरेंद्र तिवारी ने कहा कि हम सभी को स्वामी विवेकानंद के नैतिकता आध्यात्मिकता एवं राष्ट्रप्रेम के संदेशों को आत्मसात करते हुए उनके द्वारा दिखाए रास्तों पर चलना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी सेवाव्रत जी ने कहा कि आज का दिन आजादी के 75 वर्ष के बाद हमने क्या पाया और हमने क्या खोया यह विचारणीय है। स्वामी सेवा व्रत ने विवेकानंद जी की के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि विवेकानंद जी धनीभूत थे। यदि हमें धनीभूत भारत को जानना है तो उसके लिए हमें स्वामी विवेकानंद के साहित्य को पढ़ना होगा। स्वामी जी ने कहा कि हमें पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से बचते हुए अपने भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए। स्वामी सेवाव्रत जी ने कहा कि हमें अगर एक घनीभूत भारत की कल्पना करनी है तो हमें धर्म का सहारा लेना पड़ेगा। भारत का पुनरुत्थान आत्मा की शांति से ही सम्भव है। मुख्य अतिथि प्रोफेसर ललित प्रकाश पटेरिया ने सभी को महाविद्यालय की स्थापना दिवस एवं महाविद्यालय की प्रगति को देखते हुए शुभकामना दी।उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने सबसे ज्यादा समय हमारे छत्तीसगढ़ में ही बिताया है। उन्होंने ज्ञानी की परिभाषा स्पष्ट करते हुये कहा ज्ञानी वही है जो ईश्वर से मिलने का मार्ग प्रशस्त करें। हम को सही रास्ता बताएं। अगर हम स्वामी विवेकानंद जी द्वारा दिखाए गए रास्तों का अनुसरण करते हैं तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा । संस्था के प्राचार्य वी.के.गुप्ता ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया तथा उन्होंने स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए संदेशों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि मन में पवित्र विचार हो तो कोई भी काम आसानी से सफल हो सकता है। हमें भारतीय संस्कृति का सम्मान करना चाहिए उस से प्रेम करना चाहिए और मानवता की भावना विकसित करना चाहिए।कार्यक्रम मे विभिन्न विधाओं एवं क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र छात्राओं को प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत मे संस्था के सञ्चालक एवं प्राचार्य द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह, शॉल एवं श्रीफल भेंट किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन समाज कार्य विभाग के प्राध्यापक अभिषेक पाण्डेय एवं रसायनशास्त्र विभाग के प्राध्यापक ऋषभ देव पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालयीन स्टाफ , रासेयो स्वयंसेवकों सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं छात्र – छात्राएं उपस्थित थे।

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