



भगवान के प्रेम मे घर बार छोड़िये नही बल्कि भगवान को घर का सदस्य बनाइये – ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभ
पोड़ी दल्हा में भागवत गीता ज्ञान यज्ञ का सातवां दिन
कोटमी सोनार -संवाददाता सुबोध थवाईत
पोड़ी-दल्हा में श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान यज्ञ के आध्यात्मिक रहस्यों द्वारा खुशहाल जीवन का सातवां दिन संपन्न हुआlचल रहे श्रीमद् भागवत गीता ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन राजयोगिनी भागवत भास्कर ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा दीदी ने कर्म अकर्म विकर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अजर अमर अविनाशी आत्मा जब शरीर धारण करती है तो निरंतर कर्म करती ही है। सतयुग त्रेतायुग मे श्रेष्ठ कर्मो का प्रालब्ध भोगती है तब कर्म अकर्म होते है।द्वापर युग से पाप और पुण्य कर्म के आधार पर उसी जन्म एवं अगले जन्म का प्रालब्ध निर्माण होता है। कलयुग के अंत मे सृष्टि चक्र के अंतिम जन्म मे परमात्मा योगी आत्माओं को श्रेष्ठ कर्म सिखाते है जिसके आधार पर ही सतयुग त्रेता युग में श्रेष्ठ प्रालब्ध भोगते है । अर्थात वर्तमान ईश्वरीय जन्म ही पूर्व सभी जन्मों के पाप कर्मो से मुक्त होने का समय है और इसका एकमात्र तरीका राजयोग है जिसे परमात्मा स्वयं हम अर्जुनो को सिखा रहे है। दीदी ने कहा कि कर्म फल में परमात्मा कोई हस्तक्षेप नही कर सकते अर्थात श्रेष्ठ कर्म से प्राप्त श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने से परमात्मा भी नही रोक सकतेl
दीदी ने कहा कि जिस प्रकार शरीर को हम रोज भोजन कराते हैं 3 बार भी हम शरीर के लिए भोजन लेते हैं इसी प्रकार आत्मा के लिए भी ज्ञान और योग का भोजन रोज अति आवश्यक है रोज खाना हजम होता है उससे खून बनता है और वह ऊर्जा के रूप में शरीर में उपयोग होता है उसी प्रकार आत्मा को नित्य ज्ञान और योग का भोजन चाहिए lगीता में भगवान ने नित्य कर्म करने और नित्य हवन करने की बात कही है इस पर दीदी जी ने समझाते हुए कहा कि भगवान ने द्रव्य यज्ञ की अपेक्षा ज्ञान यज्ञ को ज्यादा महत्व दिया है भगवान ने कहा है कि अपने जीवन को ही यज्ञ बनाओl यज्ञ हवन में आहुति की सामग्री के अनेक रहस्य है lजौ ,तन का प्रतीक है तिल, मन का प्रतीक है , घी तरल होता है जो धन का प्रतीक है, तो तन मन धन और चावल का दाना जो कि हमारे कर्मों का प्रतीक है इन सभी को शुद्ध बनाना है पवित्र बनाना है श्रेष्ठ सत्कर्म में लगाना है तभी हमारा जीवन सफल होगा l
सभी ने अपनी कमी कमजोरी और बुराइयों की आहुति हवन कुंड में अर्पित की और सभी ने संकल्प किया कि अपने गांव को गोकुल गांव बनाना है और अपने जीवन को कान्हा के जीवन की तरह निर्मल बनाना है सब के सुख दुख में काम आना है सबको सहयोग देना है l अंत में सभी ने अलौकिक सहस्त्रधारा किया और ब्रम्हाकुमारी ममता ,बहुरा, उमा, रूपा, रजनी, ईश्वरीय बहन ने सबके ऊपर पुष्पों की वर्षा की l सभी ने शिव ध्वज फहराया, गूंज उठी धरती आकाश जन-जन को है यह विश्वास युग परिवर्तन लाएंगे नूतन सृष्टि बनाएगी श्वेत वस्त्रधारणी यह ब्रम्हाकुमारीयां इस गीत पर सभी श्रद्धालु जन भावविभोर हो उठे |