खोरसी गौठान में लहलहा रही साग-सब्जियां गांव में मिल रही पौष्टिक सब्जियां, समूह को हो रही आमदनी

खोरसी गौठान में लहलहा रही साग-सब्जियां गांव में मिल रही पौष्टिक सब्जियां, समूह को हो रही आमदनी

 

जांजगीर-चांपा 29 मई 2023/ खोरसी गौठान में जय मां संतोषी स्व सहायता समूह द्वारा सब्जी बाड़ी की गतिविधि संचालित की जा रही है। इस गतिविधि से जुड़कर समूह की महिलाएं गांव में पौष्टिक सब्जियां उपलब्ध करा रही हैं, और इससे उन्हें आमदनी भी हो रही है। समूह की महिलाओं ने कहा कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, घुरवा, गुरवा, बाड़ी से गांव में ही समूह को रोजगार मिलने लगा है।
जिले के पामगढ़ विकासखण्ड के अंतर्गत खोरसी गौठान में स्व सहायता समूह सब्जी बाड़ी लगाए हुए हैं। 3 एकड़ जमीन में बैगन, भिंडी, बरबट्टी की फसल की खेती कर रही हैं। इस समूह की अध्यक्ष  विमला चौहान बताती हैं कि समूह की महिलाओं के पास विशेष कोई कामकाज नहीं था, घर के कामकाज करने के बाद अधिकांश समय यूं ही बीत जाता था। ऐसे में स्व सहायता समूह गठन होने के बाद और गांव में गौठान निर्माण के बाद तो जैसे जिंदगी में परिवर्तन आ गया। ऐसे में एनआरएलएम से चक्रीय निधि से 15 हजार एवं सामुदायिक निवेश निधि से 60 हजार के साथ बैंक लिंकेज के माध्यम से 1.50 लाख रूपए की राशि प्राप्त होने पर सोने पे सुहागा हो गया। आर्थिक सहायता मिलने से समूह ने गौठान में मिली जमीन पर सब्जियां उगाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे समूह की महिलाओं की मेहनत रंग लाने लगी। गौठान में शुरूआत में साग-सब्जियांे को गांव में भी बेच देते थे, समय के साथ दूसरे गांव के लोगों को भी पता चला कि गौठान में सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है और यह सब्जियां जैविक खाद डालकर उगाई जा रही है, तो लोगों को लगा कि बाहर से रसायनिक खाद वाली सब्जियों को लाने से अच्छा है कि गांव से ही पौष्टिक सब्जियां लाई जाएं। समूह की महिलाओं को कारोबार बढ़ता चला गया और ऐसा दिन आया जब गांव में रहते हुए ही समूह की महिलाओं को आमदनी होने लगी। समूह की अध्यक्ष बताती हैं कि गौठान से जुड़ने के बाद सब्जी उत्पादन से उनके कार्य को सराहा गया। सब्जी कार्य में अब तक 50 हजार रूपए खर्च करते हुए स्थानीय बाजार में सब्जियों को बेचकर 1.25 लाख रूपए की प्रतिवर्ष आमदनी प्राप्त की। घर से निकलकर कारोबार कर रही महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी ठीक हुई, और इससे वह अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण कर पा रही हैं।

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